इचलकरंजी, 11 जून। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय जस्टिस युवकरत्न श्री गौतम चौरड़िया एवं सूरत से युवा गौरव श्री राजेश सुराणा का इचलकरंजी आगमन हुआ।
इस अवसर पर साध्वीश्री लावण्यश्रीजी के सान्निध्य में आयोजित समारोह में उपस्थितों को संबोधित करते हुए माननीय जस्टिस श्री गौतम चौरड़िया ने कहा कि आज दुनिया बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है और दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए हमें लक्ष्य निर्माण करना होगा और समय के मूल्य को आंकना होगा। जो समय के मूल्य को समझते है, उस दिशा में पुरुषार्थ करते है, वह निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करते है। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता आचार्य श्री तुलसी का स्मरण करते हुए कहा कि मुझे गुरुदेव श्री तुलसी का वरद हस्त मिला तो मेरे जैसे साधारण व्यक्ति के जीवन का निर्माण हो गया। धर्म - अध्यात्म का जीवन में बड़ा महत्व है। उन्होंने उपस्थितों को जीवन के हर क्षेत्र में अध्यात्म का पुट रखने की बात कहते हुए चौदह नियम व बारह व्रत ग्रहण करने की प्रेरणा दी।
द्वितीय दिन अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि - जो सरल होता है उसका विकास होता है। आध्यात्म जीवन में भी परम लक्ष्य मोक्ष में जाने वाले जीव की गति सरल व ऋजु होती है, जबकि अन्य गति में जाने वाले जीवों की गति वक्र होती है। यदि हम परिवार और समाज में आनंद और शांतिपूर्ण सहवास करें तो यह जीवन स्वत: मोक्ष समान बन सकता है।
सूरत से समागत युवा गौरव श्री राजेश सुराणा ने जीवन में सदैव बड़े लक्ष्यों का निर्माण करना चाहिए एवं अपने सामर्थ्य पर विश्वास करना चाहिए। हमारे भीतर अनंत ऊर्जा है, उसे हमें पहचानना चाहिए और लक्ष्य प्राप्ति हेतु उस ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए। उन्होंने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के बारे में जानकारी देते हुए श्रावक समाज से उनके अवदानों को जन जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने समाज में बढ़ते आडंबर और प्रदर्शन को नियंत्रित करने व सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की अपील की और कहा कि समाज में कोई वर्ग उपेक्षित न रहे इस बात का हमें ध्यान रखना चाहिए, यही हमारी आचार्य श्री महाप्रज्ञजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
साध्वीश्री लावण्यश्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि - संघ रूपी भवन के चार स्तंभ है - साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका। जजसाहब युवकरत्न श्री गौतम चौरड़िया व युवा गौरव श्री राजेश सुराणा जैसे आदर्श श्रावकों की कर्मशीलता से संघ की प्रभावना होती है व समाज का गौरव बढ़ता है। उन्होंने जजसाहब के जीवन को व्यक्तित्व विकास की जीवंत प्रयोगशाला बताते हुए कहा कि उच्च शिक्षा, उच्च पद के साथ साथ जीवन में विनय, विनम्रता, सरलता होती है तभी व्यक्ति शीर्ष पर पहुंचता है। हमारी कथनी करनी में समानता होनी चाहिए और नैतिकता व प्रामाणिकता हमारे जीवन के सूत्र होते है तो निश्चित ही हम हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। आगे से आगे नये लक्ष्य बनाने चाहिए व सफलता का अभिमान नहीं करना चाहिए। सभी से मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखना चाहिए।
इससे पूर्व पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्रीय तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री उत्तमचन्द पगारिया ने स्वागत वक्तव्य किया। स्थानीय तेरापंथ सभा द्वारा माननीय जस्टिस श्री गौतम चौरड़िया एवं युवा गौरव श्री राजेश सुराणा का साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। स्थानीय तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री दीपचंद तलेसरा, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र छाजेड़, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष सौ. रानीदेवी छाजेड़ आदि सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका समाज उपस्थित था। प्रथम दिन के कार्यक्रम का मंच संचालन अभातेयुप सदस्य श्री संजय वैदमेहता व द्वितीय दिवस के आयोजन का मंच संचालन सभा मंत्री श्री पुष्पराज संकलेचा ने किया।
इस अवसर पर साध्वीश्री लावण्यश्रीजी के सान्निध्य में आयोजित समारोह में उपस्थितों को संबोधित करते हुए माननीय जस्टिस श्री गौतम चौरड़िया ने कहा कि आज दुनिया बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है और दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए हमें लक्ष्य निर्माण करना होगा और समय के मूल्य को आंकना होगा। जो समय के मूल्य को समझते है, उस दिशा में पुरुषार्थ करते है, वह निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करते है। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता आचार्य श्री तुलसी का स्मरण करते हुए कहा कि मुझे गुरुदेव श्री तुलसी का वरद हस्त मिला तो मेरे जैसे साधारण व्यक्ति के जीवन का निर्माण हो गया। धर्म - अध्यात्म का जीवन में बड़ा महत्व है। उन्होंने उपस्थितों को जीवन के हर क्षेत्र में अध्यात्म का पुट रखने की बात कहते हुए चौदह नियम व बारह व्रत ग्रहण करने की प्रेरणा दी।
द्वितीय दिन अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि - जो सरल होता है उसका विकास होता है। आध्यात्म जीवन में भी परम लक्ष्य मोक्ष में जाने वाले जीव की गति सरल व ऋजु होती है, जबकि अन्य गति में जाने वाले जीवों की गति वक्र होती है। यदि हम परिवार और समाज में आनंद और शांतिपूर्ण सहवास करें तो यह जीवन स्वत: मोक्ष समान बन सकता है।
सूरत से समागत युवा गौरव श्री राजेश सुराणा ने जीवन में सदैव बड़े लक्ष्यों का निर्माण करना चाहिए एवं अपने सामर्थ्य पर विश्वास करना चाहिए। हमारे भीतर अनंत ऊर्जा है, उसे हमें पहचानना चाहिए और लक्ष्य प्राप्ति हेतु उस ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए। उन्होंने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के बारे में जानकारी देते हुए श्रावक समाज से उनके अवदानों को जन जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने समाज में बढ़ते आडंबर और प्रदर्शन को नियंत्रित करने व सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की अपील की और कहा कि समाज में कोई वर्ग उपेक्षित न रहे इस बात का हमें ध्यान रखना चाहिए, यही हमारी आचार्य श्री महाप्रज्ञजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
साध्वीश्री लावण्यश्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि - संघ रूपी भवन के चार स्तंभ है - साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका। जजसाहब युवकरत्न श्री गौतम चौरड़िया व युवा गौरव श्री राजेश सुराणा जैसे आदर्श श्रावकों की कर्मशीलता से संघ की प्रभावना होती है व समाज का गौरव बढ़ता है। उन्होंने जजसाहब के जीवन को व्यक्तित्व विकास की जीवंत प्रयोगशाला बताते हुए कहा कि उच्च शिक्षा, उच्च पद के साथ साथ जीवन में विनय, विनम्रता, सरलता होती है तभी व्यक्ति शीर्ष पर पहुंचता है। हमारी कथनी करनी में समानता होनी चाहिए और नैतिकता व प्रामाणिकता हमारे जीवन के सूत्र होते है तो निश्चित ही हम हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। आगे से आगे नये लक्ष्य बनाने चाहिए व सफलता का अभिमान नहीं करना चाहिए। सभी से मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखना चाहिए।
इससे पूर्व पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्रीय तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री उत्तमचन्द पगारिया ने स्वागत वक्तव्य किया। स्थानीय तेरापंथ सभा द्वारा माननीय जस्टिस श्री गौतम चौरड़िया एवं युवा गौरव श्री राजेश सुराणा का साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। स्थानीय तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री दीपचंद तलेसरा, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र छाजेड़, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष सौ. रानीदेवी छाजेड़ आदि सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका समाज उपस्थित था। प्रथम दिन के कार्यक्रम का मंच संचालन अभातेयुप सदस्य श्री संजय वैदमेहता व द्वितीय दिवस के आयोजन का मंच संचालन सभा मंत्री श्री पुष्पराज संकलेचा ने किया।
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