 एक  वर्ष पूर्व मानव सूर्य अदृश्य हो गया था . उसने अनेक -अनेक व्यक्तियों को  ज्ञान का अलोक बांटा था ! एक महामेध आँखों से ओझल हो गया था . जिसने कितने  -कितने प्राणियों पे अनुकम्पा की वर्षा की थी ! एक शशीदृष्टी आगोच्र हो  गया था , जिसने कितने -कितने व्यक्तियों को तनाव मुक्त...ि  की शीतलता प्रदान की थी ! एक गंधहस्ति विलय को प्राप्त हो गया था, जिसके  यूथ में कितने कितने परोपकार कारी मानवहस्ति समाविष्ट थे ! एक महासागर  अवसान को प्राप्त हो गया था, जिसने गम्भीरता का दर्शन होता था . महाग्रंथ का एक अध्याय जो गरिमा के साथ लिखित होकर संपूर्ति को प्राप्त होगाया .
 एक  वर्ष पूर्व मानव सूर्य अदृश्य हो गया था . उसने अनेक -अनेक व्यक्तियों को  ज्ञान का अलोक बांटा था ! एक महामेध आँखों से ओझल हो गया था . जिसने कितने  -कितने प्राणियों पे अनुकम्पा की वर्षा की थी ! एक शशीदृष्टी आगोच्र हो  गया था , जिसने कितने -कितने व्यक्तियों को तनाव मुक्त...ि  की शीतलता प्रदान की थी ! एक गंधहस्ति विलय को प्राप्त हो गया था, जिसके  यूथ में कितने कितने परोपकार कारी मानवहस्ति समाविष्ट थे ! एक महासागर  अवसान को प्राप्त हो गया था, जिसने गम्भीरता का दर्शन होता था . महाग्रंथ का एक अध्याय जो गरिमा के साथ लिखित होकर संपूर्ति को प्राप्त होगाया ."परम  पूज्य गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञ जी अब एक इतिहास का विषय बने हुए है .  उन्होंने तेरापंथ शासन की वाडयम की सेवा की और मानवजाति को महनीय अवदान  दिया . अब उनकी स्मृति और स्तुति ही की जा सकती है उनके प्रति महत्वपूर्ण  श्रद्धान्जली यह हो सकती है की हम उनके अवशिष्ट कार्यो को संपूर्णता की और  ले जाने का प्रयत्न करे "-आचार्य श्री महाश्रमण 

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