१४८ वा मर्यादा महोत्सव :
जयसिंगपुर. दिनांक ३०.०१.२०१२.
स्थानीय तेरापंथ भवन में साध्वी कुन्थु श्री जी आदि ठाना 4 के सानिध्य में "१४८ वे मर्यादा महोत्सव" के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया.
कार्यक्रम का शुभारम्भ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण गीतिका के साथ किया गया. साध्वी कुंथुश्री जी ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में फ़रमाया कि - " मर्यादा एवं अनुशासन जैसे नींव के पत्थर है, जिन पर संघ कि यह सुन्दर ईमारत टिकी हुई है. आचार्य श्री भिक्षु एवं उत्तरवर्ती आचार्यो कि बेजोड़ दूरदर्शिता ने तेरापंथ को चिरायु बना दिया है."
इचलकरंजी महिला मंडल की द्वारा गीतिका का संगान किया गया. कार्यक्रम में जयसिंगपुर के साथ साथ इचलकरंजी एवं उत्तरी कर्णाटक से भी बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका उपस्थित थे. इस अवसर पर जयसिंगपुर सभा के विनोद बरडिया, रामदेव लुनिया, इचलकरंजी सभा अध्यक्ष सोभागमल छाजेड आदि मान्यवरो ने अपने विचार रखे. संघ गान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. कार्यक्रम के अंत में "जय मर्यादा - जय अनुशाशन" के नारों से पंडाल गूंज उठा. कार्यक्रम का सूत्र सञ्चालन श्री विजय रुनवाल ने किया.
जयसिंगपुर. दिनांक ३०.०१.२०१२.
स्थानीय तेरापंथ भवन में साध्वी कुन्थु श्री जी आदि ठाना 4 के सानिध्य में "१४८ वे मर्यादा महोत्सव" के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया.
कार्यक्रम का शुभारम्भ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण गीतिका के साथ किया गया. साध्वी कुंथुश्री जी ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में फ़रमाया कि - " मर्यादा एवं अनुशासन जैसे नींव के पत्थर है, जिन पर संघ कि यह सुन्दर ईमारत टिकी हुई है. आचार्य श्री भिक्षु एवं उत्तरवर्ती आचार्यो कि बेजोड़ दूरदर्शिता ने तेरापंथ को चिरायु बना दिया है."
इचलकरंजी महिला मंडल की द्वारा गीतिका का संगान किया गया. कार्यक्रम में जयसिंगपुर के साथ साथ इचलकरंजी एवं उत्तरी कर्णाटक से भी बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका उपस्थित थे. इस अवसर पर जयसिंगपुर सभा के विनोद बरडिया, रामदेव लुनिया, इचलकरंजी सभा अध्यक्ष सोभागमल छाजेड आदि मान्यवरो ने अपने विचार रखे. संघ गान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. कार्यक्रम के अंत में "जय मर्यादा - जय अनुशाशन" के नारों से पंडाल गूंज उठा. कार्यक्रम का सूत्र सञ्चालन श्री विजय रुनवाल ने किया.
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