पुणे.01.01.12.
साध्वी श्री कंचनप्रभाजी आदि ठाणा 5 एवं साध्वी श्री कुंथुश्रीजी आदि ठाणा 4 का आध्यात्मिक मिलन समारोह खडकी पुणे में नववर्ष दिनांक 01.01.12 को आयोजित हुआ. कार्यक्रम में पुणे के स्थानीय समाज के साथ साथ मुंबई, सुरत, वापी, ईचलकरंजी, जयसिंगपुर से भी बडी संख्या में श्रावक श्राविका:-) उपस्थित थे. साध्वी वृंद द्वारा मिलन गीतिका संघान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. महिला मंडल द्वारा मंगलगान प्रस्तुत किया गया. पुणे सभाध्यक्ष महेन्द्र मलरेचा ने स्वागत भाषण किया.
इस अवसर पर साध्वी श्री कंचनप्रभाजी ने अपने मंगल उदबोधन् में फरमाया कि "हमारा सॊभाग्य हॆ कि मनुष्य जन्म, जॆन दर्शन एवं तेरापंथ धर्मसंघ मिला जिनके योग के बिना संवर आराधना नही हो सकती. साथ ही साथ सात्विक गर्व हॆ कि अनुशासित एवं समर्पित श्रावक समाज सेवा में तत्पर हॆ. समर्पण, विनय, सेवा के संगम का नाम ही तेरापंथ हॆ.....
साध्वी श्री कुंथुश्रीजी ने पावन पाथेय में फरमाया कि "हमारा रिश्ता धर्मसंघ का रिश्ता हॆ. यह मिलन समर्पण एवं संस्कृति का मिलन ह. तेरापंथ संघ की संस्कृति स्वार्थ या परार्थ की नही अपितु परमार्थ की हॆ.
इस अवसर पर सुरत के सभाध्यक्ष कांतिभाइ, उपासक कान्तिभाइ, अभातेयुप क्षेत्रीय प्रभारी दिनेश छाजेड, इचलकरंजी तेयुप उपाध्यक्ष संजय मेहता, जयसिंगपुर के रामदेव लुणिया आदि
ने अपने विचार रखे. धर्मानुरागी भाइ-बहिनों ने गीतिका, मुक्तक, वक्तव्य आदि के माध्यम से अपनी भावनाए प्रस्तुत की. इचलकरंजी एवं जयसिंगपुर समाज ने साध्वी वृंद से प्रवास के लिए अर्ज की. कार्यक्रम का संचालन वसंत तलेसरा ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु सभा, तेयुप, महिला मंडल ने श्रम का नियोजन किया. वृहद मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ.
साध्वी श्री कंचनप्रभाजी आदि ठाणा 5 एवं साध्वी श्री कुंथुश्रीजी आदि ठाणा 4 का आध्यात्मिक मिलन समारोह खडकी पुणे में नववर्ष दिनांक 01.01.12 को आयोजित हुआ. कार्यक्रम में पुणे के स्थानीय समाज के साथ साथ मुंबई, सुरत, वापी, ईचलकरंजी, जयसिंगपुर से भी बडी संख्या में श्रावक श्राविका:-) उपस्थित थे. साध्वी वृंद द्वारा मिलन गीतिका संघान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. महिला मंडल द्वारा मंगलगान प्रस्तुत किया गया. पुणे सभाध्यक्ष महेन्द्र मलरेचा ने स्वागत भाषण किया.
इस अवसर पर साध्वी श्री कंचनप्रभाजी ने अपने मंगल उदबोधन् में फरमाया कि "हमारा सॊभाग्य हॆ कि मनुष्य जन्म, जॆन दर्शन एवं तेरापंथ धर्मसंघ मिला जिनके योग के बिना संवर आराधना नही हो सकती. साथ ही साथ सात्विक गर्व हॆ कि अनुशासित एवं समर्पित श्रावक समाज सेवा में तत्पर हॆ. समर्पण, विनय, सेवा के संगम का नाम ही तेरापंथ हॆ.....
साध्वी श्री कुंथुश्रीजी ने पावन पाथेय में फरमाया कि "हमारा रिश्ता धर्मसंघ का रिश्ता हॆ. यह मिलन समर्पण एवं संस्कृति का मिलन ह. तेरापंथ संघ की संस्कृति स्वार्थ या परार्थ की नही अपितु परमार्थ की हॆ.
इस अवसर पर सुरत के सभाध्यक्ष कांतिभाइ, उपासक कान्तिभाइ, अभातेयुप क्षेत्रीय प्रभारी दिनेश छाजेड, इचलकरंजी तेयुप उपाध्यक्ष संजय मेहता, जयसिंगपुर के रामदेव लुणिया आदि
ने अपने विचार रखे. धर्मानुरागी भाइ-बहिनों ने गीतिका, मुक्तक, वक्तव्य आदि के माध्यम से अपनी भावनाए प्रस्तुत की. इचलकरंजी एवं जयसिंगपुर समाज ने साध्वी वृंद से प्रवास के लिए अर्ज की. कार्यक्रम का संचालन वसंत तलेसरा ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु सभा, तेयुप, महिला मंडल ने श्रम का नियोजन किया. वृहद मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ.
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