इचलकरंजी. दि.१३ मार्च,२०१२. द्वारा - संजय मेहता.
आचार्यं श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या सबसे साध्वी श्री कुन्थुश्रीजी आदि ठाना ४ एवं साध्वी श्री पीयूषप्रभाजी आदि ठाना ४ का आध्यात्मिक मिलन आज इचलकरंजी में हुआ. साध्वी कुंथुश्री जी सूरत चातुर्मास सम्पान कर आगामी चातुर्मास हेतु बेल्लारी एवं साध्वी पीयूषप्रभाजी अहमदाबाद चातुर्मास सम्पान कर बंगलोर की ओर विहार कर रहे है. दोनों सिंघाड़े हुबली तक साथ में यात्रा करेंगे.
इस अवसर पर स्थानीय तेरापंथ भवन में मिलन समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में अपने मंगल उद्बोधन में साध्वी श्री कुंथुश्री जी ने फरमाया कि- “यह आध्यात्मिक मिलन दो नदियों के संगम जैसा है. यह तेरापंथ संघ के एक समाचारी एवं एक अनुशासन का प्रभाव है. तेरापंथ धर्मसंघ की नीति गजब एवं रीति अजब. धृति अदभूत है.”
साध्वी श्री पीयूषप्रभाजी ने फ़रमाया कि-“गुरु आज्ञा एवं संघ निष्ठां हमारे जीवन के त्राण एवं प्राण तत्व है. इस मिलन से हम ४ के ८ हो गए है एवं संघ प्रभावना हेतु हमें नयी ऊर्जा मिल गयी है. उन्होंने तेरापंथी श्रावको के लिए फ़रमाया कि ‘श्र’ अर्थात श्रवणशील, ‘व’ अर्थात ‘विवेकशील’ एवं ‘क’ अर्थात ‘कार्यशील’ श्रावक है.
इस अवसर पर समदडी से समागत मुमुक्षु बहिन हेमलता का अभिनन्दन तेरापंथ सभा द्वारा किया गया. मुमुक्षु हेमलता ने अपनी भावनाए व्यक्त करते हुए कहा कि –“दीक्षा से अभय की प्राप्ति होती है. सांसारिक मनुष्य को अनेको चिंताए एवं भय सताते है लेकिन संयम पंथ अंगीकार करने वाले को आध्यात्मिक सुखो की प्राप्ति होती है.”
कार्यक्रम में बंगलोर सभा के उपाध्यक्ष श्री विमल श्यामसुखा, जयसिंगपुर सभा अध्यक्ष श्री विनोद चौरडिया, उद्योगपति श्री दान्चंद घोड़ावत के साथ साथ बंगलोर, जयसिंगपुर, सांगली, पचपदरा, समदडी आदि स्थानों से समागत गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. इचलकरंजी कन्या मंडल ने मंगलाचरण गीतिका, महिला मंडल ने दीक्षार्थी अभिनन्दन गीतिका प्रस्तुत की. इचलकरंजी सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री सोभाग्मल छाजेड ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया. साध्वी श्री कंचनरेखाजी ने अपने विचार रखे एवं साध्वी सुमंगलाजी एवं साध्वी श्री सुलभयशाजी ने गीतिका प्रस्तुत की. साध्वी श्री भावनाश्रीजी, साध्वी सुधाकुमारी जी एवं साध्वी श्री दीप्तियाशाजी ने गीतिका का संगान किया. कार्यक्रम का सूत्र सञ्चालन इचलकरंजी सभा के सचिव श्री पुष्पराज संकलेचा ने किया.
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