महान है श्रमणत्व तुम्हारा    संजय  वैदमेहता     महान है श्रमणत्व तुम्हारा , जय-जय महाश्रमण    पावन कर देते भूमि को, जय-जय  ज्योति चरण       जिनवाणी को जन-जन पहुचाने तुम चलते अविराम   हर  शबरी की कुटिया पावन, करते "तेरापथ के राम"   पुरुषोत्तम तुम कर रहे, मर्यादा-मूल्यों का जागरण   महान है श्रमणत्व तुम्हारा , जय-जय महाश्रमण        अहिंसा यात्रा-अणुव्रत से, युगधारा में भर रहे प्राण    दृष्टि तुम्हारी है राष्ट्र का,  हो सर्वांगीण निर्माण    नयी पीढ़ी  को मिलता रहे संस्कारों का सिंचन   महान है श्रमणत्व तुम्हारा , जय-जय महाश्रमण      छाई है खुशिया संघ में,  मना रहे अमृत जन्मोत्सव       तेरी अमृत-वर्षा गण में , खिलाती रहे नव-पल्लव    युगों-युगों तक तारणहार, करो तुम संघ संचालन   महान है श्रमणत्व तुम्हारा , जय-जय महाश्रमण      होगा बेडा पार मुझ, शरणागत को है विश्वास    तुम ही मेरे प्राण हो,  और तुम ही मेरे श्वास   नाम तेरा ही रटता, 'संजय'  हर पल - हर क्षण    महान है श्रमणत्व तुम्हारा , जय-जय...
 
 
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