आसक्ति-मोह से बचें: आचार्य
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धर्मसभा: गलतकार्यों से बचने की सीख
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बालोतरा.
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प्राणी अकेला आता है, अकेला ही जाता है और कर्मों का फल भी अकेला भोगता
है। केवल आत्मा ही शाश्वत है। सोमवार को नया तेरापंथ भवन में धर्मसभा को
संबोधित करते हुए जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने ये उद्गार
व्यक्त किए। आचार्य ने कहा कि संयोग कभी न कभी वियोग में बदलते हैं। इसलिए व्यक्ति अकेलेपन का अनुचिंतन करते हुए पदार्थों के प्रति होने वाली आसक्ति से, मोह से बचने का प्रयास करें। जो एकत्व का अनुभव करने वाला होता है, वह अपने आप में मस्त रहता है। कर्म कर्ता के पीछे दौड़ता है इसलिए व्यक्ति गलत कार्यों से बचने का प्रयास करे। विषयासक्त मन बंधन तो विषय मुक्त मन मोक्ष की ओर ले जाने वाला होता है। इसलिए विषयों के प्रति आसक्ति नहीं होनी चाहिए। आचार्य ने प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति सेवा की भावना को मुख्य मानकर चले तो अनैतिकता से बच सकता है। भारत भूमि पर अनेकों संत पैदा हुए हैं जिन्होंने अपने कल्याणकारी उपदेश से जनमानस को लाभांवित किया है।मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि सत्संग का बड़ा महत्व है। संतों के मार्गदर्शन से व्यक्ति परम की ओर अग्रसर होता है। जीवन की सार्थकता भी इसी में है कि वह शरीर की प्रक्रिया से ऊपर उठकर परम की ओर ध्यान दे। मंत्री मुनि ने कहा कि व्यक्ति स्वयं को पदार्थ से हटाकर परम की अनुभूति कर सकता है। कार्यक्रम के अंत में माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधि भंवरलाल टावरी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। महिला मंडल की अध्यक्षा विमला देवी गोलेच्छा व मंत्री नैना छाजेड़ ने 14 संयम नियम के कार्ड व भ्रूण हत्या के प्रति जनजागरूकता के स्टीकर आचार्य को भेंट किए। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। बच्चों को दिलाया नशामुक्ति का संकल्प:नए तेरापंथ भवन में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि ज्ञान और आचार के योग से जीवन परिपूर्ण बनता है। प्रारंभ से ही बच्चों को शिक्षालओं से नैतिक और चारित्रिक संस्कार मिलने चाहिए। इस अवसर पर आचार्य ने नशा मुक्ति पर जोर देते हुए बालकों को नशा नहीं करने के लिए संकल्प दिलवाया। शासन मुनि किशनलाल ने कहा कि प्रयोग और प्रशिक्षण से जीवन में सौंदर्य की अभिवृद्धि होती है। मुनि मदन कुमार ने कहा कि अणुव्रत में नैतिकता का महान संदेश है। अणुव्रती बनकर राष्ट्र का नव निर्माण कर सकते हैं। हर व्यक्ति को प्रयत्न पूर्वक चरित्र की रक्षा करनी चाहिए। चरित्र जीवन की सबसे बड़ी पंूजी है। जीवन विभान प्रभारी मुनि किशनलाल स्वामी ने सही मुद्रा, सही श्वास, सही सोच-सकारात्मक चिंतन के साथ ही विभिन्न प्रयोगात्मक मुद्राओं की जानकारी दी। अणुव्रत समिति की ओर से आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के तत्वावधान में आयोजित विद्यार्थी जीवन में अणुव्रती एवं जीवन विज्ञान की प्रासंगिकता विषय पर बाड़मेर जिला प्रभारी ओम बांठिया ने विवेचन किया। समिति अध्यक्ष कमलेश बोहरा ने स्वागत भाषण में बालोतरा समिति के कार्यों की जानकारी दी। सचिव जवेरीलाल सालेचा ने आभार ज्ञापित किया। कमलादेवी ओसवाल रेशमी वेदमूथा ने अणुव्रत गीतिका 'संयम मय जीवन हो' प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में परीक्षा प्रभारी संपत नाहटा ने अणुव्रत नैतिक पाठमाला के परीक्षा परिणामों की घोषणा की तथा बालोतरा के स्कूल गुरुकुल, मदर टेरेसा, आचार्य तुलसी एवं नवकार विद्या मंदिर के वरीयता सूची के छात्रों की पुरस्कृत किया गया। पचपदरा, जसोल, पारलू स्कूलों के पुरस्कार प्रेषित करने की घोषणा की गई। कार्यक्रम में अणुव्रत प्रदेश कार्याध्यक्ष भूपत कोठारी, बालोतरा समिति कार्याध्यक्ष ललित श्रीश्रीमाल, यूसुफ भांतगर, शंकरलाल सलुंदिया, सालगराम परिहार, विमला चौधरी, कनकराज पालगोता, ललित जीरावला, सुरेश बाघमार, फतेहचंद ओसवाल, सभाध्यक्ष शांतिलाल डागा, समिति के महेन्द्र वैद, शांतिलाल शांत, जसोल अध्यक्ष पदमसिंह कंवरली, सफरूखां, पचपदरा मंत्री कांतिलाल छाजेड़, पूर्व राष्ट्रीय युवाध्यक्ष मर्यादा कुमार कोठारी, सरलीजोन, सोहनलाल सहित कई स्कूलों के छात्र-छात्राएं व शिक्षक उपस्थित थे। |
25 BOL What is 25 BOL ? 25 BOL is a compilation of 25 different listings from Jain Agams which are fundamental learning blocks to understand the Agamic literature in detail. They are the basic items dealing in the Jain concept of Universe. The study of Jain literature becomes easy with the understanding of these 25 listings. These are compiled by Jain Acharyas for easy understanding of fundamental items Click 'Play" and then "Full Screen button" on Player Window 1. GATI 4 NARAK GATI TIRYANCH GATI MANUSHYA GATI DEV GATI There are 4 Gati in the universe. The names are given for each Gati. Gati arises due to the Naam Karma . The Jiva (Soul) keeps on moving from one Gati to another with the passage of time. 2. JATI 5 EK ENDRIYA BE INDRIYA TE INDRIYA CHOUR ENDRIYA PANCH ENDRIYA There are totally five categories of life viz from one sensed to five sensed. All the