इचलकरंजी.
तेयुप इचलकरंजी द्वारा समणी जिनप्रज्ञाजी एवं समणी सम्यक्त्वप्रज्ञाजी के पावन सान्निध्य में युवक कार्यशाला का आयोजन किया गया. भजन मंडली द्वारा विजय गीत एवं श्रावक निष्ठा पत्र के वाचन के साथ कार्यशाला आरम्भ हुई.
कार्यशाला में समणी जिनप्रज्ञाजी ने युवको को ''हम और हमारा धर्मसंघ' विषय पर मार्गदर्शन देते हुए कहा कि - संघ व्यक्ति से बड़ा है. हम यह भावना रखे कि - गण मेरा है और मैं गण का हूँ. हमें स्व-मूल्यांकन करना चाहिए कि एक श्रावक होने के नाते हमारे में श्रद्दा, विवेक, उपासना, तत्वज्ञान, वात्सल्य, प्रभावना, संघनिष्ठा आदि का कितना विकास हुआ है.'' युवको को प्रायोगिक प्रशिक्षण के अंतर्गत ठाणं सूत्र में श्रावक के जो ८ प्रकार बताए गए है उन विषयों पर युवको के ८ ग्रुप बनाकर एक तत्काल प्रस्तुति देने को कहा गया, जिसमे संभागी युवकों ने खूब उत्साह से प्रस्तुति दी. कार्यशाला के अंत में संभागियो ने कार्यशाला के अनुभव को साझा किया.
तेयुप इचलकरंजी द्वारा समणी जिनप्रज्ञाजी एवं समणी सम्यक्त्वप्रज्ञाजी के पावन सान्निध्य में युवक कार्यशाला का आयोजन किया गया. भजन मंडली द्वारा विजय गीत एवं श्रावक निष्ठा पत्र के वाचन के साथ कार्यशाला आरम्भ हुई.
कार्यशाला में समणी जिनप्रज्ञाजी ने युवको को ''हम और हमारा धर्मसंघ' विषय पर मार्गदर्शन देते हुए कहा कि - संघ व्यक्ति से बड़ा है. हम यह भावना रखे कि - गण मेरा है और मैं गण का हूँ. हमें स्व-मूल्यांकन करना चाहिए कि एक श्रावक होने के नाते हमारे में श्रद्दा, विवेक, उपासना, तत्वज्ञान, वात्सल्य, प्रभावना, संघनिष्ठा आदि का कितना विकास हुआ है.'' युवको को प्रायोगिक प्रशिक्षण के अंतर्गत ठाणं सूत्र में श्रावक के जो ८ प्रकार बताए गए है उन विषयों पर युवको के ८ ग्रुप बनाकर एक तत्काल प्रस्तुति देने को कहा गया, जिसमे संभागी युवकों ने खूब उत्साह से प्रस्तुति दी. कार्यशाला के अंत में संभागियो ने कार्यशाला के अनुभव को साझा किया.
Comments
Post a Comment