इचलकरंजी, 28 फरवरी।
महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की आज्ञानुवर्तिनी 'शासन श्री' साध्वी
श्री विद्यावतीजी 'द्वितीय' के पावन सान्निध्य में 'भक्तामर स्तोत्र जप
अनुष्ठान' का सामूहिक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें 27 जोड़ों ने स्वस्तिक
के आकार में बैठकर अनुष्ठान किया। एक स्वर एक लय में भक्तामर स्तोत्र के
पाठ से पूरा वातावरण अध्यात्ममय बन गया।
साध्वीश्रीजी
ने भक्तामर स्तोत्र का महत्व बताते हुए कहा कि भक्तामर स्तोत्र की रचना
महाप्रभावक आचार्य मानतुंग ने की थी। उनकी प्राय: रचना प्रभु भक्ति से
ओतप्रोत है। भक्तामर स्तोत्र भी उनका सुमधुर एवं भक्ति रस से युक्त स्तोत्र
है। भगवान आदिनाथ के प्रति समर्पण एवं सघन आस्था की पवित्र भावना भरी है।
इस अवसर पर
कोप्पल, गदग आदि क्षेत्रों से आए हुए अतिथियों का तेरापंथ सभा इचलकरंजी की
ओर से साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। अनुष्ठान में सहभागी जोड़ों को
सभा की ओर से सामायिक किट भेंट किया गया। कोप्पल सभाध्यक्ष श्री रामलाल जी
ने अपने विचार रखे एवं साध्वीश्री के आगामी कोप्पल चातुर्मास में दर्शन
सेवा का लाभ लेने हेतु इचलकरंजी वासियों को आमंत्रण दिया।
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