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पश्चिम महाराष्ट्र स्तरीय संगठन कार्यशाला का आयोजन

सेवा संस्कार एवं संगठन के क्षेत्र में अग्रसर तेरापंथ युवक परिषद् इचलकरंजी द्वारा दिनांक १६.०१.११ को इचलकरंजी में अ.भा.ते.यु.प. के तत्वावधान में "पश्चिम महाराष्ट्र स्तरीय संगठन कार्यशाला" का आयोजन साध्वी श्री अशोकश्रीजी आदि ठाणा ४  के पावन सानिध्य में किया गया. राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतमजी डागा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में अभातेयुप के कोषाध्यक्ष श्री सलिल लोढ़ा, राष्ट्रीय कार्यसमिती सदस्य श्री सुरेश कोठारी, श्री अनिल सांखला, श्री ललित समदडिया, श्री राजेंद्र म्हणोत, श्री महावीर कोठारी, श्री राकेश  आच्छा, श्री मनोज संकलेचा, श्री कैलाश कोठारी श्री जितेन्द्र पालगोता आदि विशेष रूप से उपस्थिति थे.  तीन सत्रों में विभाजित इस कार्यशाला में इचलकरंजी, जयसिंगपुर, पूना, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर, तासगांव एवं हुबली के  संभागियों ने  भाग लिया.  कार्यशाला से पूर्व तेयुप भजन मंडली द्वारा विजय गीत का संगान  एवं श्रेष्ठ कार्यकर्ता श्री सुरेश कोठारी द्वारा श्रावक निष्ठा पत्र वाचन किया गया. 

उदघाटन सत्र :  राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतमजी डागा ने कार्यशाला के बेंनर का अनावरण कर कार्यशाला के शुभारम्भ की विधिवत उद्घोषणा की. तेयुप इचलकरंजी की ओर से अध्यक्ष श्री अशोक बाफना एवं स्थानीय सभा की ओर से अध्यक्ष श्री सोभागमल छाजेड ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया.कार्यशाला के केन्द्रीय संयोजक एवं शाखा प्रभारी श्री मनोज संकलेचा ने अतिथी परिचय प्रस्तुत किया. राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उनकी पूरी टीम का तेयुप इचलकरंजी द्वारा मोमेंटो भेंट कर सन्मान किया गया एवं कार्यशाला किट भेंट किया गया.

प्रथम प्रशिक्षण सत्र:
  • कल्याण मित्र श्री सलिल लोढ़ा ने आचार्य श्री महाश्रमण के ५० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष में आयोजित होनेवाले "अमृत महोत्सव" के बारे में जानकारी दी.   उन्होंने बताया कि इस महोत्सव के पंचसूत्रीय  उद्देश्यों में से तेयुप को बारह व्रतीकरण एवं  व्यसन मुक्ति अभियान के लिए विशेष परिश्रम करना है.  
  • राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतमजी डागा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में "संगठनात्मक शक्ति कैसे प्रवर्धमान हो ?" इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "संगठन के प्रत्येक सदस्य में 13 'D'  Determination, Dedication, Discipline, Devotion, Decesion, Development, Deepness, Diplomacy, Donkeyness, Database, Dogness and Decentralization का होना जरूरी  है. 
  • "नेतृत्व की अर्हताएं" विषय पर अपने पाथेय में साध्वी श्री चिन्मय प्रज्ञा  जी ने फरमाया कि नेतृत्व में अनुशाशन, मृदुशीलता सहनशीलता सामंजस्य एवं पद निर्लिप्तता जैसे गुणों का होना आवश्यक है. वह कथनी-करनी में समानता रखे एवं सभी को साथ में लेकर चले.
  • साध्वी श्री अशोकश्रीजी ने "धर्मसंघ एवं हमारा दायित्व" विषय पर अपने पावन पाथेय में फरमाया कि साधू-साध्वी एवं श्रावक-श्राविका इन चारों तीठो को मिलाकर ही धर्मसंघ बनता है एवं धर्मसंघ से हमें बहुत कुछ प्राप्त होता है. अत:  सभी श्रावक श्राविका धर्मसंघ के प्रति अपने दायित्व को समझे. संघ के प्रति पूर्ण श्रद्धा, आस्था एवं समर्पण रखे. जहा आस्था अटूट होती है वहा आध्यात्मिक एवं भौतिक सभी लाभ प्राप्त होते है लेकिन जहा श्रद्धा आस्था डावांडोल होती है वहा जीवन सरस नहीं बन पाता.  संघ के इतिहास में उल्लेखित बलिदानी एवं संघ्भाक्त श्रावको के उदाहरण प्रस्तुत कर सभी को संघ के प्रति अपने दायित्वों के प्रति जागरूक रहने कि सदप्रेरणा दी.
  • अभातेयुप की गतिविधयो की जानकारी के तहत राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य श्री राकेश अच्छा ने सेवा, श्री महावीर कोठारी ने संस्कार, श्री मनोज संकलेचा ने संगठन, श्री कैलाश कोठारी ने प्रकाशन, श्री अनिल सांखला ने किशोर मंडल, श्री ललित समदडिया ने व्यक्तित्व विकास, श्री राजेंद्र मुनोत ने केन्द्रीय कार्यक्रमों में सहभागिता एवं श्री जितेन्द्र पालगोता ने नशा मुक्ति अभियान के बारे में बताया.
  • इस अवसर पर तेयुप इचलकरंजी कि इन्टरनेट वेबसाईट http://www.teyupichal.blogspot.com/ का औपचारिक लोकार्पण राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतमजी डागा द्वारा किया गया. तेयुप के वेबसाईट प्रभारी एवं उपाध्यक्ष श्री संजय वैदमेहता ने इस साईट के बारे में जानकारी प्रस्तुत की.
द्वितीय समूह चर्चा सत्र:
  • कार्यशाला के संभागियो के 5 समूह बनाए गए एवं संघीय संस्थाओं के परिप्रेक्ष्य  में "कैसे हो सदस्यों में प्रमोद भावना का विकास?", "कार्यक्रमों को कैसे अधिक प्रभावक एवं रोचक बनाया जाए?", "नेतृत्व का संगठन के प्रति क्या दायित्व हो ?", "सदस्यों की आचारसंहिता" एवं "अध्यात्मिक प्रवृतियों के माध्यम से संगठन प्रभावी कैसे बने?" इन विषयों पर विचारों का आदान प्रदान किया गया. संभागियो ने बड़े ही उत्साह के साथ अपने सुझाव रखे. 
  • प्रत्येक  समूह से एक प्रतिनिधि ने समूह में हुई चर्चा के मुख्य सुझाव एवं मुद्दों को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया.
  • सभी संभागियो का एक सामूहिक फोटो सेशन किया गया जिसको लेकर संभागी काफी उत्साहित नजर आये.


तृतीय प्रशिक्षण सत्र:
  • "सफल कार्यकर्ता की कसौटी" विषय पर अपने उदबोधन में साध्वी श्री मंजुयाशाजी ने फरमाया कि सफल कार्यकर्ता कि पहचान उसके समय नियोजन कौशल, निस्वार्थ सेवा भाव, नि:अहंकार   भाव,  साहस एवं पुरुषार्थ से होती है. जो अपनी दूरदर्शी निर्णय क्षमता और कर्तृत्व कौशल से संगठन में सभी का दिल जीत लेता है वही सफल कार्यकर्ता होता है.
  • कार्यशाला के समापन से पूर्व संभागियो के लिए जिज्ञासा समाधान किया गया. स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतमजी डागा ने संभागियो के सभी जिज्ञासाओं का उत्तर दिया.
  • इस अवसर पर तेयुप इचलकरंजी कि गतिविधियों एवं इतिहास कि झलक के रूप में एक फोटो प्रदर्शनी भी राखी गयी. जिसका अवलोकन कर राष्रीय नेतृत्व ने इचलकरंजी टीम कि सराहना की.  
       तेयुप इचलकरंजी के उपाध्यक्ष  श्री महेंद्र छाजेड ने आभार ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन उपाध्यक्ष द्वितीय संजय वैदमेहता एवं मंत्री दिनेश छाजेड ने किया.

Comments

  1. Aachi prastuti ke liyea aapko badhai ho. Aage bhi aap aise he prastuti dete rahe.

    - Mahendar Chhajed

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  2. thanks very much mahendraji !! aashirwaad banaaye rakhe !!

    ReplyDelete

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