दिनांक २९.०५.२०११. इचलकरंजी.
"संघ की गतिविधियों एवं प्रवृतियों से जब हम जुड़ते है तो वह हमें सात्विक गौरव की अनुभूति करवाता है. हमारा एक लक्ष्य निर्माण हो के संघ की प्रभावना कैसे हो ? पूज्यवरों का महासभा पर अटूट विश्वास एवं स्नेह है जो की उसकी ५०० से अधिक शाखाओं के परिश्रम का परिणाम है. हम इस विश्वास को कायम रखते हुए गुरुदेव के प्रत्येक इंगित को पूर्ण करे." यह विचार तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रिय विसर्जन प्रभारी श्री रतनजी दुगड़ ने आज स्थानीय तेरापंथ भवन में आयोजित विशेष चर्चा सत्र में रखे.
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा का प्रतिनिधि मंडल आज अपनी संगठन यात्रा के तहत इचलकरंजी पधारा था जिसमे उपाध्यक्ष श्री रतनजी दुगड़, महासभा ट्रस्टी एवं मुंबई सभाध्यक्ष श्री भंवरलालजी कर्नावट, मुंबई सभा के मंत्री श्री दिनेश सुतारिया एवं तेयुप दक्षिण मुंबई के मंत्री श्री पंकज सुराना शामिल थे.
कार्यक्रम का शुभारम्भ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण के साथ हुआ. इचलकरंजी सभाध्यक्ष श्री सौभाग्यमल छाजेड ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया एवं सभा द्वारा सभी अतिथियों का साहित्य भेंट द्वारा सन्मान किया गया. महासभा के ट्रस्टी श्री भंवर लालजी कर्नावट ने महासभा की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी. जिसमे मुख्य रूप से ज्ञानशाला, विसर्जन, उपासक प्रशिक्षण, मेघावी छात्र परियोजना, अमृत महोत्सव के अवसर पर तेरापंथी परिवारों की सार संभाल आदि पर उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा की स्थानीय सभा एवं श्रावक समाज इसमें पूर्ण लगन के साथ जुड़े.
इससे पूर्व मुंबई सभा के मंत्री श्री दिनेश सुतारिया ने अतिथि परिचय दिया एवं अपने विचार रखते हुए कहा की हम सौभाग्यशाली है की हमें तेरापंथ जैसा अनुशासित एवं सुव्यवस्थित धर्मसंघ मिला है. महासभा संघ की सर्वोच्च संस्था है एवं संघ प्रभावक कार्यो की सुचारू एवं व्यवस्थित कर्यान्विती के लिए कटिबद्ध है.
कार्यक्रम का सूत्र संचालन इचलकरंजी सभा के उपाध्यक्ष श्री पुष्पराज संकलेचा ने किया.
इस अवसर पर अच्छी संख्या में धार्मिक भाई बहिन, तेयुप, महिला मंडल, किशोर मंडल एवं कन्या मंडल के सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित थे.
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