बालोतरा. अमृत महोत्सव कार्यक्रम के आरंभ में समणी वृंद की ओर से मंगल संगान किया गया।
मुनि वृंद की ओर से आचार्य की अभ्यर्थना में 'जियो-जियो वर्ष हजार' गीत की
प्रस्तुति देकर वर्धापना की गई। मुनि रजनीश कुमार, साध्वी चारित्रयशा,
साध्वी सुमति प्रभा ने अपने श्रद्धासिक्त भाव अभिव्यक्ति किए। फकीरा खां
(उस्ताद बिस्मिलाह खां पुरस्कार से सम्मानित) ने मारवाड़ी गीतों की सुर
लहरियों द्वारा आचार्य का भाव भीना अभिनंदन किया। आचार्य की अभ्यर्थना में
जैन विश्व भारती के अध्यक्ष सुरेन्द्र चोरडिय़ा, प्रवास व्यवस्था समिति के
संयोजक देवराज खींवसरा, अमृत महोत्सव संयोजक ख्यालीलाल तातेड़, अभातेयुप के
संगठन मंत्री राजेश सुराणा, महासभा अध्यक्ष हीरालाल मालू, महासभा के चीफ
ट्रस्टी कमल दुगड़ ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम के अंत में
साध्वी वृंद की ओर से नभ से उतरी अरुणाई गीत का मंगल संगान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमार श्रमण ने किया।
आचार्य को अर्पण की
भेंटें:
साध्वी वृंद की ओर से आचार्य को अमृत कलश की प्रतिकृति भेंट की
गई। साध्वी चांद कुमारी की ओर से निर्मित माला, मंत्री मुनि द्वारा श्रीफल,
साध्वी प्रमुखा की ओर से आरतीथाल मुख्य नियोजिका की ओर से आचार्य को भेंट
किए गए। अमृत महोत्सव पर तैयार दस्तावेज प्रमुखा की ओर से आचार्य को उपहृत
किए गए। हरियाणा के जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा की ओर से 'निर्गुण चदरिया'
पुस्तक उपह्रत की गई। बाबूलाल देवता की ओर से 21 दिन की तपस्या का
प्रत्याख्यान व दीक्षिता कवाड़ की ओर से 8 दिन की तपस्या के प्रत्याख्यान
द्वारा आचार्य त्याग व तप की भेंट की गई। हरियाणा सभा की ओर से चंदन की
लकड़ी से निर्मित पंखा भेंट किया गया।