
अच्छे गुण लें, दुर्गुण छोडें : आचार्य
जसोल १४जुलाइ २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
तेरापंथ शासन के 11वें आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति गुणों के आधार पर साधु होता है और अवगुणों के आधार पर असाधु बन जाता है। उन्होंने कहा कि आदमी का लक्ष्य अच्छे गुणों को ग्रहण करने और दुर्गुणों को छोडऩे का होना चाहिए। व्यक्ति को लक्ष्य बनाकर सद्गुणों को चुन लेना चाहिए और उन्हें अपने भीतर स्थापित कर लेना चाहिए। एक-एक गुण को ग्रहण करके व्यक्ति अपने जीवन को घट को परिपूर्ण कर सकता है। आचार्य शुक्...रवार को जसोल में चातुर्मास प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि साधु का लक्ष्य साधना व गुणों के विकास को होना चाहिए। दीक्षा पर्याय के बढऩे के साथ साधना भी परिपक्व तर होनी चाहिए। साधु कषायों को मंद कर, अशुभ योगों को बंद कर शुभ योग में रहने का प्रयास करें।
सेवा है सिरमौर साधना
आचार्य ने कहा कि संयम महाव्रत की साधना मूल बात है। उसके बाद साधु को स्वाध्याय, सेवा व ज्ञनाहार की तपस्या का भी प्रयास करना चाहिए। उससे ये तीनों न हो सके तो उपयुक्तता के आधार पर किसी एक का चयन तो करना ही चाहिए। आचार्य ने उपयुक्तता का मतलब बताते हुए कहा कि शिष्य गुरू इंगित का ध्यान रखें व गुरू आज्ञा- गुरू इंगित को उपयुक्त माने। आचार्य ने कहा कि सेवा की उपेक्षा होने पर स्वाध्याय व तपस्या को गौण कर देना चाहिए। पर सेवा से वंचित नहीं रहना चाहिए। सेवा निर्जरा की बड़ी साधना है। सेवा सबके लिए सिरमौर है। शासन श्री साध्वी सिद्धप्रज्ञा के देवलोकगमन होने पर उनकी स्मृति सभा में श्रद्धांजलि देते हुए आचार्य ने कहा कि वे ज्ञानाराधना में रत रहने वाली साध्वी थी। उनमें कषाय मंदता की भी अच्छी साधना थी। साध्वी सिद्धप्रज्ञा को तुलसी के मुख कमल से दीक्षित होने का अवसर मिला। वे शासन में आयी, शासन की सेवा ली, शासन को सेवा दी और एक दिन चली भी गई।
साध्वी सिद्धप्रज्ञा को श्रद्धांजलि स्वरूप साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा, मंत्री मुनि सुमेरमल, मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा ने अपने भावोद्गारित किए। साध्वी की संसार पक्षीय बहन साध्वी यशोधरा, साथ रही साध्वियों में साध्वी श्रुत यशा, साध्वी मुदित यशा, साध्वी विमल प्रज्ञा ने अपने वक्तव्य द्वारा श्रद्धांजलि दी। साध्वी कमल व अन्य साध्वियों ने गीतिका के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। साध्वी की संसार पक्षीय भान निर्मला बैद ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।
