तेरापंथ युवक परिषद् इचलकरंजी द्वारा दिनांक 2 अगस्त २०१५ को स्थानीय तेरापंथ भवन में साध्वीश्री मधुस्मिताजी आदि ठाणा 7 के सान्निध्य में अभातेयुप निर्देशित 'मंत्र दीक्षा' एवं समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती लाडनूं द्वारा निर्देशित 'जैन विद्या दिवस' का संयुक्त रूप से आयोजन किया गया.
इचलकरंजी एवं जयसिंगपुर के बच्चों को मंत्र दीक्षा प्रदान करते हुए साध्वीश्री मधुस्मिताजी ने कहा- मंत्र दीक्षा के द्वारा बचपन में ही महामंत्र के प्रति घनीभूत आस्था का निर्माण किया जाता है. महामंत्र के प्रति सघन श्रद्धा रखकर अपनी शक्ति का सदुपयोग करने वाला जीवन में शानदार सफलता का वरण करता है. महामंत्र के प्रभाव से विपत्ति अपने आप दूर हो जाती है, संकट टल जाते है, समस्याएँ समाहित हो जाती है और सबसे बड़ा लाभ है -भाव विशुद्धि एवं आत्म उज्ज्वलता.
इचलकरंजी एवं जयसिंगपुर के बच्चों को मंत्र दीक्षा प्रदान करते हुए साध्वीश्री मधुस्मिताजी ने कहा- मंत्र दीक्षा के द्वारा बचपन में ही महामंत्र के प्रति घनीभूत आस्था का निर्माण किया जाता है. महामंत्र के प्रति सघन श्रद्धा रखकर अपनी शक्ति का सदुपयोग करने वाला जीवन में शानदार सफलता का वरण करता है. महामंत्र के प्रभाव से विपत्ति अपने आप दूर हो जाती है, संकट टल जाते है, समस्याएँ समाहित हो जाती है और सबसे बड़ा लाभ है -भाव विशुद्धि एवं आत्म उज्ज्वलता.
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा नमस्कार महामंत्र महिमा गीत के संगान के साथ हुआ. तेयुप द्वारा विजय गीत संगान एवं तेयुप के पूर्व अध्यक्ष अशोक संकलेचा द्वारा श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया गया. सभा अध्यक्ष श्री जेसराज छाजेड ने मंत्र दीक्षा को संस्कार संवर्धन हेतु आवश्यक बताते हुए ज्ञानशाला में बच्चों को नियमित भेजने हेतु अभिभावकों से आह्वान किया. तेयुप अध्यक्ष संजय वैदमेहता ने अपने वक्तव्य में मंत्र दीक्षा ग्रहण करने वाले ज्ञानार्थियों के जीवन के प्रति मंगलकामना की एवं सभी से जैन विद्या की परीक्षाओं में सहभागिता हेतु आग्रह किया. ज्ञानार्थी तनिष्क छाजेड, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका नीतू छाजेड एवं जयसिंगपुर ज्ञानशाला के ज्ञानार्थीयों ने अपनी प्रस्तुति दी.
आभार ज्ञापन तेयुप कोषाध्यक्ष दिलीप मेहता ने किया. कार्यक्रम का कुशल संचालन तेयुप मंत्री विकास सुराणा ने किया.
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