व्रत धारण करनेवाला समुद्र जितने पाप को कटोरे जितने पाप में सीमित कर देता है
-साध्वीश्री मधुस्मिताजी
तेयुप इचलकरंजी द्वारा अभातेयुप निर्देशित बारह व्रत कार्यशाला का आयोजन
इससे पूर्व साध्वीश्री स्वस्थ्प्रभाजी एवं साध्वीश्री सहजयशाजी ने 'श्रावक व्रत धारों !' गीतका का संगान किया. साध्वीश्री स्वस्थप्रभाजी ने बताया कि इस गीत की रचना परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी वि.स.१९९१ में चुरू में की थी. साध्वीश्री ने अधिकाधिक लोगो को व्रती श्रावक बनने की प्रेरणा प्रदान की.
इचलकरंजी एवं समीपवर्ती जयसिंगपुर से करीब 160 श्रावक-श्राविका इस कार्यशाला में सम्मिलित हुए. कार्यशाला समापन पर 5 श्रावक साध्वीश्री की प्रेरणा से यथासमय बारहव्रत ग्रहण करने हेतु उद्यत हुए. इस अवसर पर तेरापंथ सभा इचल. अध्यक्ष जेसराज छाजेड, मंत्री पुष्पराज संकलेचा, तेयुप अध्यक्ष संजय वैदमेहता, मंत्री विकास सुराणा, तेमम इचल अध्यक्षा सुनीता गिडिया, मंत्री जयश्री जोगड़, प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री विजयसिंह रुणवाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
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