
इचलकरंजी. 6 सितम्बर. परमपूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री मधुस्मिताजी आदि ठाणा 7 के पावन सान्निध्य में तेरापंथ सभा इचलकरंजी द्वारा “पश्चिमांचल श्रावक सम्मेलन” आयोजन दिनांक 6 सितम्बर को किया गया. महाराष्ट्र के इचलकरंजी, जयसिंगपुर, पिंपरी चिंचवाड़, माधवनगर, सांगली, तासगाँव, कोल्हापुर, दापोली, म्हाड, खेड़, मानगांव, चिपलून, मानगढ़, रत्नागिरी सहित कर्नाटक के बेलगाँव, गदग, सौदंती आदि क्षेत्रों के श्रावक-श्राविका सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित थे.

सममेलन की अध्यक्षता कर रहे जैन श्वे. तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष श्री किशनलाल डागलिया ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा- संघ जब भी हमें आह्वान करे तब हम स्वयं को समर्पित करने को तैयार रहें यह भावना हर श्रावक में होनी चाहिए. हमें मध्यस्थ भाव एवं करुणा भाव का विकास करना चाहिए. उन्होंने अहिंसा यात्रा के संस्मरण बताते हुए पूज्य्प्रवर की सरलता, सहजता, समभाव, भक्तवत्सलता के प्रति अपनी श्रद्धा-भावना व्यक्त की. उन्होंने कहा-पश्चिम महाराष्ट्र के छोटे छोटे क्षेत्र संगठन की दृष्टि से साथ मिलकर कार्ययोजना बनाएं और उसमें संघ के विधान एवं गुरु इंगित की पुरी अनुपालना हो इसका ध्यान रखें.

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित महासभा के कर्नाटक प्रभारी एवं अभातेयुप पूर्व अध्यक्ष युवा गौरव श्री दीपचंद नाहर ने कार्यकर्ता की अर्हताएं बताते हुए कहा कि- जो सबको साथ लेकर चले. अहंकार और ममकार का विसर्जन करें, आलोचना में संतुलित रहें, साहसिक वृत्ति के साथ पुरुषार्थ को अपनाएं, पदलिप्सा से दूर रहें, कार्यनिष्ठ और दायित्व बोध बना रहें वही अच्छा कार्यकर्ता कहलाता है. उन्होंने कहा कि दो प्रकार के कार्यकर्ता होते है- मित्र सहयोगी कार्यकर्ता और श्रावक कार्यकर्ता. हमारा लक्ष्य श्रावक कार्यकर्ता बनने का रहें क्यूंकि श्रावक कार्यकर्ता ही संघ एवं संगठन को नयी ऊँचाइयों तक आगे बढ़ा सकता है. उन्होंने साध्वीश्रीजी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की. स्थानीय तेयुप द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं अभातेयुप के मीडिया उपक्रम JTN की भी उन्होंने सराहना की.

इससे पूर्व साध्वीश्री द्वारा महामंत्रोच्चारण द्वारा सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. खुशबु भंसाली ने मंगलाचरण गीतिका का संगान किया. तेरापंथ सभा इचलकरंजी के अध्यक्ष श्री जेसराज छाजेड ने स्वागत वक्तव्य किया. साध्वीवृन्द ने ‘श्रावक सम्मेलन सुखकार’ गीतिका का संगान किया.


दोपहर में सम्मलेन के द्वितीय सत्र का शुभारंभ तेयुप इचलकरंजी द्वारा ‘श्रावकों जागों जरा..’ गीतिका के संगान के साथ हुआ. साध्वीश्री स्वस्थ्प्रभाजी ने आगमकालीन श्रावकों के बारे में एवं साध्वीश्री सहजयशाजी ने तेरापंथ धर्मसंघ के बलिदानी श्रावकों के बारे में बताया. साध्वीवृंद ने सामुहिक स्वर से “हर्षित प्रमुदित श्रावकगण..” गीतिका का संगान किया. श्री डागलिया ने महासभा की प्रमुख गतिविधियाँ- ज्ञानशाला, उपासक श्रेणी, अहिंसा यात्रा, शताब्दी वर्ष में सभा भवन निर्माण योजना आदि के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने उपस्थित श्रावक समाज को कुछ संकल्प भी दिलवाए. साध्वीश्रीजी के सान्निध्य में हुए आध्यात्मिक आयोजनों के समाचार की आल्बम भी अतिथियों ने साध्वीश्री को भेंट की. महिला मंडल द्वारा राष्ट्र स्वच्छता अभियान पर आधारित होर्डिंग का भी अतिथियों के हाथों लोकार्पण किया गया.
राष्ट्रीय अणुव्रत शिक्षक संसद के अध्यक्ष श्री उतमचंद पगारिया, अणुव्रत महासमिति कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेश कोठारी, उत्तर कर्णाटक एरिया समिति के अध्यक्ष श्री अमृतलाल कोठारी, तेयुप इचलकरंजी अध्यक्ष श्री संजय वैदमेहता, तेरापंथ सभा सोलापुर के मंत्री श्री कैलाश कोठारी, तेरापंथ सभा जयसिंहपुर अध्यक्ष श्री अशोक रुणवाल, पिंपरी चिंचवड सभाध्यक्ष श्री सुधीर कोठारी, दापोली सभाध्यक्ष श्री लादुलाल गांधी, बेलगाँव से समागत श्री दानचंद बोथरा, जयसिंहपुर से समागत श्री रामदेव लूणिया आदि ने भी अपने विचार रखें. कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री श्री पुष्पराज संकलेचा ने किया. आभार ज्ञापन सभा के कोषाध्यक्ष श्री गौतम छाजेड ने किया.
रिपोर्ट- संजय वैदमेहता
Comments
Post a Comment